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छत्तीसगढ़ में धान खरीदी : सैकड़ों ट्रस्टों की हजारों एकड़ खेती पर फंसा पेंच, सरकार के द्वार पहुंचे संचालक

छत्तीसगढ़ में एक बार फिर धार्मिक ट्रस्ट, शैक्षणिक और चेरिटेबल ट्रस्टों की ओर से उनकी जमीनों पर लगा धान खरीदी का मामला फंस गया है। हालांकि ये पहला साल नहीं है, अब से करीब आठ साल पहले से ट्रस्टों द्वारा उगाया धान नहीं खरीदा जा रहा है।

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इस पुरे मामले को लेकर सरकार का रुख साफ है। सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि धान खरीदी के नियम में व्यक्ति विशेष से खरीदी का केंद्र सरकार का आदेश है, यही आदेश राज्य सरकार ने भी लागू कर रखा है। इसके बावजूद ट्रस्ट की ओर से खरीदी की मांग की जा रही है।

इस पूरे मामले को लेकर यह तथ्य भी सामने है कि ट्रस्ट की जमीन पर उगा धान भी सरकार खरीदती है लेकिन उसकी तरीका अलग है। यह ऐसे कि अगर किसी ट्रस्ट ने अपनी जमीन का एक हिस्सा किसी व्यक्ति को अधिया या रेगहा पर दिया जाता है तो धान उगाने वाले व्यक्ति का पंजीयन किया जाता है। इस किसान से उसका धान खरीदा जाता है, लेकिन उसे केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य की राशि यानी मोटे धान का 2300 रुपए प्रति क्विंटल दिया जाता है। ऐसे किसानों को धान की पूरी कीमत 3100 रुपए क्विंटल नहीं दी जाती है।

ये है मामला

छत्तीसगढ़ में सैकड़ो की संख्या में ऐसे धार्मिक, शैक्षणिक और टेरिटेबल ट्रस्ट हैं जिनके पास हजारों एकड़ जमीन है। इन जमीनों पर ट्रस्ट द्वारा धान उगाया जाता है, लेकिन इस धान की खरीदी सरकार नहीं करती है। वर्ष 2016 में तत्कालीन रमन सरकार के समय से केंद्र के नियम के हवाले से ट्रस्टों से धान खरीदना प्रतिबंधित किया गया था। इसके बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद पूरे पांच साल यही नियम लागू रहा है। अब मौजूदा राज्य सरकार के समय में एक बार फिर ट्रस्टों की ओर से मांग आ रही है कि उनका उगाया धान सरकार खरीदे।

महंत रामसुंदर दास ने कहा बरसों से है मांग

रायपुर में दूधाधारी मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख महंत डॉ. रामसुंदर दास का कहना है कि, हम लोग ट्रस्ट का धान खरीदने की मांग 2016 से कर रहे हैं, लेकिन इसके लिए कोई भी राज्य सरकार तैयार नहीं होती है। उन्होंने कहा कि जब भी बात करते हैं तो सरकार के अधिकारियों का तर्क होता है कि धान खरीदी किसी संस्था के लिए है व्यक्ति के लिए नहीं।

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मार्कफेड ने कही ये बात

मार्कफेड के एमडी रमेश शर्मा ने कहा है कि, एमएसपी पर धान खरीदी केवल किसानों से की जाती है, यह केंद्र सरकार का नियम है, यही नियम राज्य में भी लागू है। अगर किसी ट्रस्ट की जमीन यदि किसी किसान के अधिया रेगहा में दी जाती है तो उसका पंजीयन संबंधित किसान के नाम पर होता है, उससे धान खरीदी का प्रावधान है। किसी भी ट्रस्ट का धान एमएसपी पर नहीं खरीदा जाता है।

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