अब्दुल सलाम कादरी-बीबीसी हिंदी न्यूज़ डॉट इन
गोरखपुर के सिकरीगंज थाना क्षेत्र में दो पक्षों के बीच हुई मारपीट के बाद मौके पर पहुंचे चौकी प्रभारी और एक सिपाही को एक पक्ष के लोगों ने बंधक बनाकर पीटा। सिपाही ने तो मौके से भागकर अपनी जान बचा ली, लेकिन सिर में चोट लगने से चौकी प्रभारी बेहोश हो गए।
सिपाही की सूचना के बाद पुलिस बल मौके पर पहुंचा और बंधक बनाए गए चौकी प्रभारी को मुक्त कराया।
गोरखपुर जिले के सिकरीगंज थाना क्षेत्र के कन्हौली गांव निवासी श्रवण यादव का अपने पटीदार से जमीन को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा है। रविवार को जब श्रवण वाइब्रेशन बियरिंग लेने के लिए बाइक से दुघरा चौकड़ी जा रहा था तो सामने वाले पक्ष का राजन भी बाइक पर आ गया और बाइक आगे-पीछे करने को लेकर दोनों के बीच बहस शुरू हो गई। इसी बीच दोनों पक्षों से कई लोग मौके पर पहुंच गए।
पुलिस पर आरोप लगे
जिसके बाद श्रवण ने इस विवाद की जानकारी पुलिस को दी. मामले की जानकारी जैसे ही पुलिस को मिली तो वह मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों के लोगों को समझा-बुझाकर वापस भेज दिया, लेकिन कुछ देर बाद दोनों पक्षों के बीच फिर से विवाद शुरू हो गया और मामला मारपीट में बदल गया. फिर श्रवण ने इसकी सूचना पुलिस को दी. श्रवण कुमार और उनके परिवार का आरोप है कि पुलिस दूसरे पक्ष के लोगों से मिली हुई है. जिसके चलते वह घटनास्थल पर देर से पहुंचीं.
चौकी प्रभारी ने बंधक बना लिया
आरोप लगाने के बाद श्रवण और उसके साथियों ने चौकी प्रभारी दुघरा और उनके साथ मौके पर पहुंचे सिपाही को पीटना शुरू कर दिया और बाद में दोनों को एक कमरे में बंद कर दिया। सिपाही किसी तरह जान बचाकर कमरे से भागा और पुलिस को पूरी घटना की जानकारी दी। पुलिस बल मौके पर पहुंचा और चौकी प्रभारी को आरोपियों के चंगुल से छुड़ाया। गंभीर रूप से घायल चौकी प्रभारी को बचाकर पहले इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन बाद में उन्हें मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।
35 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है
इस मामले में एसपी साउथ जितेंद्र कुमार ने बताया कि सिकरीगंज के एसएसआई (वरिष्ठ उपनिरीक्षक) भूपेन्द्र की शिकायत पर दोनों पक्षों के 15-15 नामजद और 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है. फिलहाल पुलिस ने श्रवण यादव समेत कई लोगों को हिरासत में लिया है. श्रवण यादव सेना में सिपाही थे. 10 साल पहले वह नौकरी छोड़कर गांव आ गए और राजनीति में कदम रखने लगे।
जमीन विवाद को लेकर विवाद है
पिछले पंचायत चुनाव में श्रवण यादव ने प्रधान का चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. श्रवण के पिता तीन भाई थे। सबसे बड़े थे उनके पिता राम सिंह, दूसरे थे राजन के पिता रामजीत और तीसरे थे जिनक जिनके कोई संतान नहीं थी. उनकी संपत्ति के बंटवारे को लेकर पिछले 10 साल से विवाद चल रहा है. इसे लेकर पहले भी कई बार झगड़े हो चुके हैं।