अल मदीना चल मदीना आज नहीं तो कल मदीना |
इरादे रोज़ बनते हैं लेकिन टूट जातें हैं |
मदीने वही जातें हैं जिन्हें आका बुलातें हैं |
बालोदः शहर बालोद से काफिला हज्जे बैतूल्लाह के लिए सऊदी अरब मक्का मदीना के लिए रवाना हुआ । शहरवासियों ने जामा मस्जिद बालोद से नारैय तकबीर, दरूद शरीफ का विद्र करते हुए, मक्का मदीना के लिए रूख़सती की गई ।
शहर के जनाब अब्दुल कादिर मनिहार, जनाब युसूफ अजीज खान के साहबजादे अली नवाज़ खान व युसूफ खान की अहिल्या रोज़ीला बेगम ,, व हनीफ कुरैशी, ये सभी अपने हज के सफर के लिए रवाना हुए । शहर वासीयों ने इन सभी ज़्यारीन को एक खुशनुमा माहौल में उन्हें रुखसती दी, और सभी लोग अपने शहर के अमनोअमान, तरक्की, व अपने लिए दुआवों के लिए कहा। और ज़्यारीन लोग भी उनके सफर को आसान व हज के अराकान को पूरा करने व अपने सेहतो आवरी के लिए दुआ करने की आवाम से इल्तेजा की। ज़्यारिनो का शहरवासी व उनके रिश्तेदार दोस्त अहबाब सभी इस्तेकबाल किये|
शहर के ये ज़्यारीन दुर्ग से नागपुर, मुंबई के लिए रवाना हुए जहाँ वे 29 मई को सऊदी अरब के मक्का मदीना के लिए रवाना होंगे!
जामा मस्जिद बालोद में मस्जिद के नायब इमाम मौलाना मुश्ताक पटेल व नमाजियों ने उनके सफर को आसान व मुल्क में अमनो अमान, तरक्की के लिए दुआ की,सलातो सलाम पढ़ा गया |
शारिक खान ने नाते रशूल पेश की इस बीच मुस्लिम जमात,व हुज्जाजे इकराम के रिश्तेदार, दोस्त अहबाब लोग हाजीर रहे! हाजी जिलहीज की 9 तारीख को जोहर के नमाज़ के पहले आराफत पहुंचेगें वे वहाँ जोहर से मगरीब के वक्त तक रूकना, ठहरना, दुआ मांगना, इबादत करना ही हज है।
मगरीब के पहले मुजदल्फा के पहाड़ी पर हाजियों को जाना होता है वहां पर वे शैतान को मारने के लिए कंकड़ इकटठा करते हैऔर रात मुजदलफा मे मे गुजारते है। सुबह फजर के बाद शैतान को कंकर मारने के लिए वापस मीना आते है। और अराकान पूरे कर कुर्बानी पेश करते है | फिर मीना से लौटकर तवाफे जियारत हरम शरीफ मे करते है, तभी हज मुकम्मल होता है ।