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नई दिल्ली: प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे संतोष कुमार सिंह की समयपूर्व रिहाई याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। 14 मई 2025 को सुनवाई पूरी होने के बाद जस्टिस संजीव नरूला की अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे अब जारी करते हुए सजा समीक्षा बोर्ड (SRB) के पूर्व निर्णय को रद्द कर दिया गया है।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि SRB द्वारा किसी दोषी की रिहाई पर विचार करते समय मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन की प्रक्रिया स्पष्ट रूप से लागू नहीं की जाती, जिससे सुधार की वास्तविक संभावना का आकलन अधूरा रह जाता है। इसीलिए, अब कोर्ट ने निर्देश दिया है कि भविष्य में SRB द्वारा कोई भी निर्णय लेने से पहले दोषी का औपचारिक और विशेषज्ञ द्वारा किया गया साइकोलॉजिकल मूल्यांकन अनिवार्य होगा।
यह निर्णय न सिर्फ संतोष कुमार सिंह की याचिका के संदर्भ में अहम है, बल्कि जेल प्रणाली और सजा समीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता और प्रभावशीलता को सुधारने की दिशा में भी बड़ा कदम माना जा रहा है।
संतोष कुमार सिंह को पहले 1999 में ट्रायल कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया था, लेकिन 2006 में दिल्ली हाईकोर्ट ने उसे बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराया और मौत की सजा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में सजा को उम्रकैद में बदल दिया।
अब देखना होगा कि SRB दोबारा मूल्यांकन के बाद क्या रुख अपनाती है, लेकिन इतना तय है कि संतोष कुमार सिंह की रिहाई का रास्ता फिलहाल आसान नहीं होगा।