तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने अपने 90वें जन्मदिन पर एक ऐतिहासिक घोषणा करते हुए साफ कर दिया है कि उनकी संस्था उनके बाद भी कायम रहेगी। इसका सीधा मतलब है कि अगला Dalai Lama उत्तराधिकारी जरूर चुना जाएगा। बुधवार को धर्मशाला में आयोजित कार्यक्रम में उनके इस बयान ने दुनियाभर के बौद्ध अनुयायियों में उत्सुकता जगा दी है।
पारंपरिक रूप से, दलाई लामा के निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी की खोज शुरू होती है। बौद्ध भिक्षु धार्मिक संकेतों, स्वप्नों और आध्यात्मिक चिन्हों के आधार पर एक बालक को पहचानते हैं, जो पूर्व दलाई लामा के पुनर्जन्म के रूप में माना जाता है। उस बालक की परीक्षा ली जाती है—क्या वह पिछले दलाई लामा की वस्तुओं को पहचान पाता है या नहीं। फिर उसे प्रशिक्षण देकर औपचारिक रूप से दलाई लामा घोषित किया जाता है।
लेकिन इस बार परंपरा में बदलाव संभव है। दलाई लामा ने संकेत दिए हैं कि वे खुद उत्तराधिकारी चयन प्रक्रिया को लेकर दिशा-निर्देश दे सकते हैं। यदि ऐसा होता है, तो यह पहली बार होगा जब जीवित दलाई लामा उत्तराधिकारी चुनने में भूमिका निभाएंगे।
इस प्रक्रिया पर चीन, भारत और अमेरिका की पैनी नजर है।
-
चीन चाहता है कि अगला दलाई लामा उसकी निगरानी में चुना जाए, ताकि तिब्बत पर उसका नियंत्रण बना रहे।
-
अमेरिका धार्मिक स्वतंत्रता की बात करते हुए चीन को हस्तक्षेप से दूर रहने की सलाह दे चुका है।
-
भारत, जहां दलाई लामा निर्वासित जीवन जी रहे हैं, इस चयन प्रक्रिया में एक अहम भूमिका निभा सकता है।