नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। चुनाव आयोग के 24 जून को जारी आदेश को असंवैधानिक बताते हुए मोइत्रा ने कहा कि यह नागरिकों के मतदान अधिकार का हनन है। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि ECI को अन्य राज्यों में भी इस तरह की प्रक्रिया से रोका जाए।
महुआ मोइत्रा की याचिका के अनुसार, पहली बार ऐसा हो रहा है जब जिन मतदाताओं के नाम पहले से वोटर लिस्ट में हैं, उनसे दोबारा नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। इसमें माता-पिता की नागरिकता का प्रमाण भी शामिल है। मोइत्रा ने इसे संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 का उल्लंघन बताया।
इसी मुद्दे पर NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि यह आदेश बिना उचित प्रक्रिया के लाखों वास्तविक मतदाताओं को सूची से बाहर कर सकता है, जिससे वे मताधिकार से वंचित हो जाएंगे।
ECI के मुताबिक, बिहार में अंतिम SIR 2003 में हुआ था और हालिया आदेश का उद्देश्य अवैध प्रवासियों के नाम हटाकर वोटर लिस्ट को शुद्ध करना है। आयोग के अनुसार, घर-घर सर्वे के जरिए सत्यापन किया जा रहा है।