मुंबई: आगामी BMC चुनाव 2025 से पहले महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा सियासी बदलाव देखने को मिला है। दशकों तक एक-दूसरे से दूरी बनाए रखने के बाद, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे अब एक मंच पर साथ नजर आए। दोनों नेताओं ने मराठी अस्मिता और हिंदी विरोध जैसे पुराने मुद्दों को फिर से उठाया, जिसने राजनीति में हलचल बढ़ा दी है।
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह मंच साझा करना किसी राजनीतिक गठबंधन की शुरुआत है या सिर्फ एक प्रतीकात्मक संदेश। लेकिन इतना जरूर है कि मुंबई, ठाणे, पालघर और रायगढ़ में रहने वाले करीब 50 लाख उत्तर भारतीय वोटर्स इस घटनाक्रम से प्रभावित हो सकते हैं। खासकर तब, जब मनसे का इतिहास हिंदी भाषियों के विरोध से जुड़ा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शिवसेना (UBT) और मनसे का यह मेल राजनीतिक मजबूरी भी हो सकता है। उद्धव ठाकरे एकनाथ शिंदे के चलते कमजोर हुए हैं, जबकि राज ठाकरे की पार्टी लंबे समय से हाशिए पर है। ऐसे में दोनों के लिए ‘ठाकरे एकता’ अस्तित्व की लड़ाई बन चुकी है।
इस मंच से उद्धव ने भावुक होते हुए कहा, “हम दोनों का इस्तेमाल कर छोड़ दिया गया,” वहीं राज ठाकरे ने परोक्ष रूप से बीजेपी पर निशाना साधा।