उदयपुर की दर्दनाक घटना पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ के ट्रेलर रिलीज होते ही विवादों में घिर गई है। कई मुस्लिम संगठनों ने इस फिल्म पर तत्काल बैन लगाने की मांग की है। विवाद का केंद्र ट्रेलर में दिया गया वह बयान है, जिसके कारण भाजपा ने पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पार्टी से बाहर किया था।
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने दिल्ली, मुंबई और गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर कर फिल्म पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। याचिका में केंद्र सरकार, सेंसर बोर्ड, फिल्म निर्माता और एक्स कार्प्स को पक्षकार बनाया गया है। मौलाना का आरोप है कि फिल्म में देवबंद को कट्टरवाद का केंद्र बताया गया है और उलेमा समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिश की गई है, जिससे मुस्लिम समाज की छवि को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
मौलाना मदनी ने सेंसर बोर्ड पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि नियमों की अनदेखी करते हुए एक नफरत फैलाने वाली फिल्म को मंजूरी देना समझ से परे है। उनका कहना है कि यह फिल्म सांप्रदायिक सौहार्द और देश की शांति को भंग करने का प्रयास है।
याचिका में यह भी दावा किया गया है कि फिल्म संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 के तहत नागरिक अधिकारों का उल्लंघन करती है और सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 की शर्तों की अवहेलना करती है।
ट्रेलर में नूपुर शर्मा विवाद के साथ-साथ ज्ञानवापी मस्जिद जैसे संवेदनशील मामले का भी जिक्र है। मौलाना मदनी ने चेतावनी दी है कि इस फिल्म के जरिए कुछ शक्तियां अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाने का प्रयास कर रही हैं, जिससे देश में सामाजिक तनाव बढ़ सकता है।