बालोद:—ईदुल अज़हा का त्योहार मुस्लिम समुदाय के द्वारा खुशनुमा माहौल में मनाया गया। ईदगाह में जामा मस्जिद के पेश ईमाम मोहम्मद शकील चिस्ती ने कहा कि आज ईद उल अज़हा के दिन हम कुर्बानी करते हैं, कुर्बानी करने का मतलब है, कि अल्लाह के करीब पहुंचना,, हजरत इब्राहिम अलैहिस्सालम ने अपने बेटे हज़रत इस्माइल को अल्लाह की राह में कुर्बान करने के लिए राजी हो गए,जैसे ही कुर्बानी करने के लिए तैयार हुए उनके बेटे की जगह एक दूम्बा(जानवर ) की क़ुरबानी हुई!यह एक इम्तेहान् था! हाफिज शकील चिश्ती ने कहा कि एक कुर्बानी सिर्फ जानवर को ज़िबा करना ही नहीं बल्कि इंसान को अपनी जिंदगी की तमाम बुराइयों जैसे तकबुर हसद, बुगज़,कीना, नफरत इन तमाम बुराइओं को भी अपनी जिंदगी से दूर करें,यह भी एक अल्लाह की राह में एक कुर्बानी है!
उन्होंने कहा की आज अल्लाह की बारगाह – में मांगने का दिन है, आज शुकराना अदा करने और खुशी मनाने का दिन है, कोई गरीब इंसान है उसकी मदद करने का दिन है,
मौलाना शकील चिस्ती ने ईद की नमाज के बाद उन्होंने प्रदेश व हिंदुस्तान की तरक्की, अमन, भाईचारा के लिए दुआएं की। ईद उल अज़हा पर छोटे बड़े बुजुर्ग सभी नए वस्त्र पहन कर ईदगाह पहुंचे नमाज अदा कर एक दूसरे से गले मिलकर बधाई दी, नमाज अदा करने के बाद कब्रिस्तान जाकर अपने मरहूम के लिए परवर दिगार से मगफेरत के लिए दुआएं की, यह त्योहार बकराईद के नाम से भी जानी जाती है, मुस्लिम भाई अपने-अपने घरों में अल्लाह के नाम से कुर्बानी भी करतें है!
ईद के इस मौके पर इंतजामियां कमेटी के मुतवल्ली शाहिद खान ने मुसलमानों को ईद की बधाई दी, व कमेटी के विकास कार्य की जानकारी देते हुए पुलिस प्रशासन, नगरपालिका का आभार व्यक्त किया।