बालोद :–बालोद बचाओ संघर्ष समिति और व्यापारी संघ के संयुक्त आव्हान पर बालोद से जिला न्यायालय को ग्राम सिवनी में ले जाने को लेकर आज बालोद बन्द का आव्हान किया गया | बालोद बन्द को व्यापक जन समर्थन भी मिला आवश्यक सेवाएं मेडिकल स्टोर, पेट्रोल पम्प,बसों की आवागमन को छोड़कर नगर शांतिपूर्ण ढंग से बन्द रहा,वहीं व्यापारियों द्वारा शासन प्रशासन के समक्ष अपनी बातों को रखने लिए ज्ञापन देंने के लिए कलेक्टर से मिलने गए ज्ञापन लेने कलेक्टर साहब के न आने पर गेट में व्यापारी वर्ग धरने पर बैठ गए कुछ देर बाद कलेक्टर इंद्रजीतसिंह चन्द्रवाल नें व्यापारियों से भेंट की इससे व्यापारियों को संतुष्टि हुई
और लोगों की मांगों को देखते हुए उन्होंने व्यपारियो से नगर की कोई और समस्या हो तो उसे भी बताएं ऐसा उन्होंने कहा।
व्यापारियों नें कहा की कलेक्टोरेट के समीप जिला न्यायालय बनने का टेंडर भी हो चूका है और वहां जिला न्यायालय का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है,ऐसी स्थिति में जिला न्यायालय को सिवनी ले जाने के बाद यहां का व्यापार पूरा चौपट हो जाएगा| उन्होंने कहा की प्रशासन हमारी मांगों को पूरा नहीं किया तो हम आने वाले समय में धरना प्रदर्शन के आलावा उग्र आंदोलन के साथ रेल रोको जैसे आंदोलन करेंगें |
बालोद को तहसील से जिला का दर्ज़ा दिये जाने से नहीं मिला फायदा
सन 2012 में यहां की जनता को उम्मीद थी की तहसील के बाद जिला का दर्जा मिल गया है और लोगों को फायदा पहुंचेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ
यह शहर कभी अपने व्यवसाय को लेकर संतुष्ट था तथा जिला बनने के बाद इसमें और इजाफा होने की आस लगाए बैठा था उस पर एक-एक कर कहर बरपा जाने लगा। सबसे पहले कलेक्ट्रेट को बालोद से हटाकर 5 किलोमीटर दूर ग्राम सिवनी के एक छोर आदमाबाद डैम के समीप ले जाया गया। जहां तक आने-जाने में आम जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बालोद की जनता को यह नागवार गुजरा था लेकिन इसे रोकने का प्रयास ना तो तात्कालिक जनप्रतिनिधियों ने किया और ना ही जनता संगठित होकर इसका विरोध कर सकी। अपने अधिकार और लाभ की लड़ाई लड़ने की क्षमता की कमी का खामियाजा क्षेत्र को भुगतना पड़ रहा है। एक-एक कर सभी शासकीय कार्यालय शहर के अंदर से बाहर जाने लगे। नवोदय विद्यालय, आरटीओ ऑफिस, पॉलिटेक्निक कॉलेज आदि सब कुछ बालोद से दूरस्थ ग्रामों में स्थापित कर दिए गए।
केंद्रीय विद्यालय की वर्षों की मांग को भी दरकिनार कर अन्य क्षेत्र को दे दिया गया। कृषि महाविद्यालय की वर्षों पुरानी मांग पर सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा। कोई नई उद्योग या क्षेत्र के विकास, रोजगार की सौगात क्षेत्र को नहीं मिल पाई। खेल का एकमात्र मैदान मिनी स्टेडियम खेल के लिए कम एवं अन्य शासकीय एवं निजी कार्यों के लिए ज्यादा उपयोग में आने
लगा। कुल मिलाकर जिला बनने के बाद क्षेत्र की जनता को कोई लाभ मिलना तो दूर व्यापार व्यवसाय में भी
पिछड़ता नजर आने लगा। हताशा और निराशा ने लोगों को एक जुट होकर आंदोलन के लिए मजबूर कर दिया है और इसी का परिणाम है कि क्षेत्र की जनता एवं व्यापारी आज बालोद बंद कर अपना विरोध दर्ज करा ही दिए । बालोद शहर की एकमात्र उम्मीद की किरण जिला न्यायालय को बालोद से बाहर जाने से रोकने के लिए पुराने बस स्टैंड के शिव मंदिर में भारी संख्या में लोगों ने उपस्थित होकर जिला न्यायालय कलेक्ट्रेट के पास जाने से रोकने का संकल्प लेकर बालोद बन्द करने उमड़ पड़े। इस आशय का एक आवेदन आज कलेक्टर को सौपा जाकर प्रस्तावित जिला न्यायालय निर्माण को रोके जाने एवं कलेक्ट्रेट को पुनः बालोद शहर के अंदर स्थापित किए जाने की मांग रखी गई है।
बालोद बचाओ संघर्ष समिति व व्यापारी संघ नें पुराना बस स्टैंड स्थित मंदिर के समीप बैठकर लोगों को हस्ताक्षर करवा कर आंदोलन में शामिल होने की अपील की गई व चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष राजू पटेल,के साथ विकास चोपड़ा,अमित चोपड़ा, कमलेश सोनी,पुरुषोत्तम पटेल,योगराज भारती, रूपचंद जैन, गणेश साव ,श्रवण टावरी, तरुण बड़ तिया ने सभा को संबोधित किया।विनोद जैन ने आभार व्यक्त किया।