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महाकुंभ में खोते रिश्ते, कांपते हुए होंठों से बुजुर्ग मां-बाप की भीख- बेटा मुझे छोड़कर मत जाओ, फिर हुआ कुछ ऐसा..

BBC Hindi News by BBC Hindi News
February 2, 2025
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महाकुंभ में खोते रिश्ते, कांपते हुए होंठों से बुजुर्ग मां-बाप की भीख- बेटा मुझे छोड़कर मत जाओ, फिर हुआ कुछ ऐसा..
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महाकुंभ मेले में जब शाही स्नान के दिन हर कोई आस्था की डुबकी लगा रहा था, तब मोहित कुछ ऐसा प्लान कर रहा था, जो उसके बुजुर्ग मां-बाप ने सोचा भी नहीं था। मेला की शुरुआत हुए बहुत दिन हो गए थे और बेटा रोज मां बाप से महाकुंभ में स्नान की बात करता था, बूढ़े मां-बाप हर बार बेटे को प्रयागराज जाने से मना कर देते थे, क्योंकि खर्चा बहुत होगा।

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गरीब मां बाप जानते थे कि उनके बेटे के पास इतने पैसे नहीं है, ऐसे में महाकुंभ आने जाने का खर्चा वो करवाना नहीं चाहते थे। लेकिन जब शाही स्नान का दिन करीब आया आया तो वह मां-बाप के पीछे पड़ गया।

अब बेटे के साथ बहू भी उन्हें स्नान पर भेजने की जिद्द कर रही थी। मां-बाप बच्चों का इतना प्यार देख कर कैसे मना कर सकते थे। दोनों ने शाही स्नान के दिन महाकुंभ जाने के लिए हामी भर दी। जैसे ही सुबह हुई, बेटा पहले ही तैयार हो गया था। आज से पहले बूढ़े मां-बाप ने बेटे को कभी किसी चीज के लिए इतना ज्यादा उत्साहित नहीं देखा था। जब उनकी नींद खुली तो बेटा तैयार खड़ा था।

बेटे को तैयार देखकर मां बाप भी फौरन उठे और तैयार होने लगे। बेटे ने कहा – आप दोनों नाश्ता कर लो, मैं ऑटो लेकर आता हूं। बुजुर्ग माता-पिता हैरान थे, क्योंकि सुबह के 5 बज रहे थे और वो नाश्ता की बात कर रहा था। उनकी बहु आज तक कभी 8 बजे से पहले उठी नहीं थी, तो वह कैसे उन्हें 5 बजे नाश्ता दे सकती थी। अभी वो आपस में बात ही कर रहे थे, तभी उनकी बहु खाने की थाली लेकर उनके सामने आ गई। मां-बाप हैरान थे, लेकिन उन्हें खुशी भी हो रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे उनके घर में अब सब अच्छा होने वाला है।

दोनों ने खुशी-खुशी खाना खाया और महाकुंभ के लिए जाने लगे। तभी बहू ने पीछे से आवाज लगाई, अरे आप लोग अपना सामान तो लेकर जाओ। बहु की बात सुनकर सास ने कहा, अरे सामान क्यों, हम स्नान करके वापस आ जाएंगे, इसके लिए सामान ले जाने की क्या जरूरत। सास की बात सुनकर बहू थोड़ा घबरा गई और लड़खड़ाती हुई आवाज में बोली, अरे मेरा मतलब है कि स्नान के बाद आपको कपड़े तो बदलने पड़ेंगे, बहु की बात सुनकर सास ससुर ने कहा -हां यह तो हमने सोचा ही नहीं।

दोनों एक बैग में अपने कपड़े पैक करने लगे। तभी घर के बाहर से आवाज आई, अरे ऑटो आ गया है, आप लोग अभी तक खाना खा रहे हो क्या। मां ने कहा – सामान पैक कर रहे हैं, अभी बाहर आ रहे हैं। सामान की बात सुनकर बेटा थोड़ा हैरान रह गया, उसे लगा कि मां बाप को पता चल गया है। जब मां-बाप घर से बाहर आए तो उसने उनसे पूछा, सामान क्यों?

तब मां ने हंसते हुए कहा, अरे पगले हम घर छोड़कर नहीं जा रहे हैं, सामान इसलिए कि वहां स्नान करने के बाद कपड़े भीग जाएंगे, इसके बाद बदलने के लिए एक और सूखे कपड़े तो रखने होंगे न। मां की बात सुनकर मोहित ने चैन की सांस ली और कहा, अच्छा इसलिए कपड़े लिए हैं। चलो अब जल्दी ऑटो में बैठ जाओ वरना ट्रेन छूट जाएगी। मां-बाप आज बहुत खुश थे, क्योंकि बहुत दिनों बाद उनका बेटा उनके लिए कुछ खास कर रहा था।

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हंसते मुस्कुराते ट्रेन का सफर भी पूरा हो गया और वह प्रयागराज पहुंच गए। प्रयागराज पहुंचते ही मोहित का बर्ताव माता पिता के प्रति अब थोड़ा बदलने लगा था। मां ने बेटे से चाय के लिए कहा तो उसने मना कर दिया मोहित ने कहा- मां अब चाय नाश्ता बाद में करना, पहले जल्दी से स्नान कर लेते हैं। तीनों ने मिलकर शाही स्नान किया फिर कपड़े बदले।

तभी मोहित को किसी का फोन आया। वह बार बार फोन काट रहा था, तो मां ने उससे पूछा, क्या हुआ किसका फोन है, उठा लो, क्या पता जरूरी काम हो किसी को। मोहित ने सोचा यह अच्छा मौका है, मैं बहाना करके यहां से निकाल जाता हूं। उसने मां बाप को मेले में एक जगह बिठा दिया और कहा, आप लोग यहां बैठो, मैं बात करके आता हूं। मां बाप बेटे को फोन पर बात करते हुए दूर जाता हुआ देख रहे थे। तभी भीड़ में वह कहीं गायब हो गया। सुबह से भूखे प्यासे मां बाप अपने बेटे के आने का इंतजार कर रहे थे। बेटा आयेगा तो उन्हें कुछ खाने को मिलेगा। बेटे को गए हुए 3 से 4 घंटे हो गए थे और उनके पास फोन भी नहीं था। वह आपस में बात करते हुए कह रहे थे कि उसे इतना टाइम क्यों लग रहा है।

पिता ने कहा, अरे इतनी भीड़ है, बात करते करते कहीं दूर चला गया होगा। आ जाएगा तुम परेशान मत हो। धीरे-धोरे अब शाम के 6 बज गए थे और अंधेरा होने लगा था। ठंड भी अब बढ़ने लगी थी और ओस भी पड़ रही थी। बूढ़े कमजोर मां बाप खुले आसमान के नीचे ठंड से कांप रहे थे, सुबह से ना खाने को कुछ मिला था और न ही पीने को। तभी राह चलते एक आदमी ने पानी का बोतल जमीन पर फेंका। बोतल में थोड़ा पानी बचा हुआ था। दोनों लोग बोतल की तरफ देख रहे थे और उस आदमी के जाने के इंतजार कर थे, जैसे आदमी वहां से हटा, बुजुर्ग पिता ने फौरन पानी का बोतल उठा लिया, उसने बोतल का ढक्कन खोला और अपनी पत्नी को दिया। कांपते हुए हाथों ने बुजुर्ग मां ने पानी पिया और थोड़ा सा पानी बचाकर अपने पति को भी पीने को दिया।

अभी भी दोनों बुजुर्ग मां बाप को उम्मीद थी कि बेटा आ जायेगा। बार बार वह यही कह रह रहे थे, लगता है मेले में बेटा रस्ता भूल गया है। हम यहीं बैठे रहते हैं, क्या पता वो यहां आ जाए और हम उसे यहां न मिले। बेटे के आने की आस लिए बैठी कमजोर आंखे अब हार मान रही थी। रात के 2 बज गए थे और बेटे का कोई अता पता नहीं था। अब दोनों को लगने लगा था कि शायद उनके बेटे ने उन्हें जान बूझकर यहां छोड़ा है, इसलिए वह इतने दिनों से उन्हें महाकुंभ लेकर आने की जिद कर रहे थे।

पूरे 1 दिन बीत गये थे लेकिन बुजुर्ग माता पिता अपनी जगह से हिले नहीं थे। उनकी नजरें बस उसी रास्ते पर थी, जहां से उनका बेटा निकला था। एक दिन तक कुछ खाए बिना अब बुर्जुग माता पिता नहीं रह पा रहे थे। अब उन्हें लगने लगा था कि शायद अब उनका बेटा नहीं आएगा, तभी पिता ने कहा, मैं कुछ खाने को लेकर आता हूं, तुम यहीं रहो, क्या पता मोहित आए और हम उसे यहां न मिले।

जेब में 1 रुपए भी नहीं था और बुजुर्ग पिता खाना ढूंढने मेले में निकल पड़े थे। उनके मन में आया कि वह एक बार घर पर फोन लगाकर देखते हैं, उन्होंने एक आदमी से फोन मांगा और कहा कि मुझे अपने बेटे से बात करनी है। आदमी ने फोन दे दिया। फोन लगा तो बहु ने फोन उठाया..उसने बहु से कहा कि मोहित घर में है क्या…हम उसका इंतजार कर रहे हैं। बहु घबरा गई और उसने फोन काट दिया। बुजुर्ग ने फिर फोन मिलाया, तो बहु ने गुस्से में फोन उठा कहा कहा, हमें दोबारा फोन मत करना, हमारा आपके साथ अब कोई रिश्ता नहीं है।

बहू की बातें सुनकर तो जैसे बुजुर्ग पिता के पैरों से जमीन ही खिसक गई थी। बुजुर्ग पिता भीड़ में जोर-जोर से चिल्लाने लगा और कहने लगा..ऐसे मत करो बेटा, हम बुढे लोग कहां जाएंगे। हमें ऐसे अकेले मत छोड़ों प्लीज हमें ले जाओ। बहु ने फोन काट दिया और फोन बंद कर लिया। बुजुर्ग ने आदमी का फोन देते हुए शुक्रिया कहा और वहीं बैठकर रोने लगे।

तभी उनके दिमाग में आया, बेटे की आवाज घर में से नहीं आ रही थी, शायद उनका बेटा उन्हें लेने आएगा। हो सकता है कि वह हमें खोज रहा हो और उसे भीड़ में हम नहीं मिल रहे हो। यह सोचते हुए उन्होंने अपने आंसू साफ किए और पास की एक दुकान पर पहुंच गए।

उन्होंने दुकानदार से कहा, अरे बेटा कुछ खाने को दे दो, हमने कल से कुछ खाया नहीं है, मेरा बेटा आ जायेगा, तो मैं पैसे दे दूंगा। दुकानदार ने गुस्से में उन्हें ये बोलते हुए भगा दिया कि- भीख मांगने का अब नया तरीका खोजा है क्या। पैसे लाओ तो खाना मिलेगा, वरना नहीं।

बुर्जुग पिता के पास भी हिम्मत अब नहीं बची थी, लेकिन वह अपनी पत्नी के लिए कुछ खाना लेकर जाना चाहते थे। तभी उन्होंने देखा कि लोग कचरे के डिब्बे में बचा हुआ खाना डाल रहे हैं। उनके मुंह में पानी आ रहा था, लेकिन कचरे से निकाल कर कैसे खाना खाए। दिल पर पत्थर रखकर उन्होंने कचरे के डिब्बे में हाथ डाला और खाने की थाली उठाने लगे। तभी वहां एक लड़का आ पहुंचा। वह बहुत देर से उन्हें देख रहा था, उसने उन्हें रोकते हुए कहा, अरे-अरे ये आप क्या कर रहे हो

मैं आपको पैसे देता हूं, आप खाना खरीद लीजिए। लड़के की बात सुनकर बुजुर्ग पिता की आंखों में आंसू भर आए थे। वह कांपती हुई आवाज में बोले, मुझे पैसा नहीं चाहिए, बस मेरी बीवी वहां बैठी है, कल से हमने कुछ खाया नहीं है। बुजुर्ग आदमी की बात सुनकर लड़का भी उदास हो गया था। उसने उन्हें एक कुर्सी पर बिठाया और दो लोगों का खाना खरीद लिया। उसने बुजुर्ग आदमी से कहा, अम्मा कहां है, चलो मैं भी आपके साथ चलूंगा। बुजुर्ग पिता ने अपने आंसू साफ किए और हल्की मुस्कान के साथ बोले, अगर उसने मुझे रोते हुए देखा तो उसकी भी उम्मीद टूट जाएगी। इसलिए मैं उसके सामने ऐसी नहीं जा सकता। लड़का उन्हें हल्की से प्यारी मुस्कान के साथ देखकर भावुक हो गया था।

उसने उनसे पूछा अपने अच्छे खासे कपड़े पहने हैं। आप अच्छे घर से लग रहे हैं, तो आप ऐसे कचरे से खाना क्यों उठाने जा रहे थे। आपका पर्स गुम हो गया है क्या। लड़के की बात सुनकर बुजुर्ग की आंखों में फिर आंसू भर आए थे। उसने दबी हुई आवाज में कहा, हम कल यहां अपने बेटे के साथ आए थे। बेटे ने स्नान के बाद हमें एक जगह बिठाया और कहीं फोन पर बात करने चला गया। उसके बाद वह कल से वापस नहीं लौटा है। उसने हमें कोई पैसे नहीं दिए। अब हमें लगता है कि शायद उसने हम बूढ़े मां बाप को ऐसे ही अकेला छोड़ दिया है।

बुजुर्ग की बात सुनकर लड़का हैरान था, क्योंकि उनकी उम्र बहुत ज्यादा थी। लड़के ने कहा, अरे आपने खोया पाया केंद्र से बात की। सरकार द्वारा सुविधा दी गई है। हो सकता है कि आपके बेटे को रास्ता न मिला हो, आप वहां क्यों नहीं बात करते हैं। बुजुर्ग पिता को लड़के की बातों से थोड़ी उम्मीद जग रही थी। वह अब अपनी पत्नी के पास भी पहुंच चुका था। उसने अपनी पत्नी से कहा कि इस बेटे ने उनके लिए खाना खरीदा है, खालो..मां की हालत भूख से बहुत ज्यादा खराब थी, जैसे तैसे उन्होंने खाना खाया और लड़के का सिर मुस्कुराते हुए सहलाया।

खाना खाने के बाद बुजुर्ग पिता ने कहा, तुम यहां बैठो मैं इस बेटे के साथ खोया पाया केंद्र होकर आता हूं। शायद मोहित को रास्ता न मिला हो और उसने हमारे बारे में वहां सूचना दर्ज करवाई हो। बुजुर्ग पिता अंजान लड़के के साथ खोया पाया केंद्र पहुंचे और उन्होंने अपना नाम और बेटे का नाम लेकर पूछा। क्या कोई आया था उनके बारे में पूछने, क्या इस नाम से कोई खोने की सूचना दर्ज हुई है। सामने से अधिकारियों ने साफ इंकार कर दिया।

अब लड़के को भी भरोसा हो गया था कि उनके बेटे ने उन्हें यहां छोड़ दिया और चला गया है। लड़का दुखी हो गया था और उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। अब वह बुजुर्ग पिता से बात भी नहीं कर पा रहा था। क्योंकि अब सभी उम्मीदें टूट चुकी थी। लड़के ने बुजुर्ग आदमी का हाथ पकड़ा और उन्हें उनकी पत्नी के पास छोड़ दिया।

 

अब उसके पास कहने को कुछ नहीं था, इसलिए उसने बस बुजुर्ग पिता के हाथ में 2000 का नोट थमाया और कहा। ये पैसे रख लीजिए आपके काम आयेंगे। बुजुर्ग पिता पैसे लेने से मना कर रहे थे, क्योंकि लड़के ने उनकी बहुत मदद पहले ही कर ली थी। लेकिन उसने जिद्द करके उन्हें पैसे पकड़ा दिए और उन्हें नमस्ते करते हुए चला गया। लड़के का मन उदास था, लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। वह बुजुर्ग अम्मा को रोते हुए नहीं देख पा रहा था। इसलिए वह बिना मुड़े वहां से निकल गया। बुजुर्ग माता-पिता के पास अब जीवन में कुछ नहीं बचा था। वह एक जगह पर बैठे बस रोए जा रहे थे। रात के 8 बज गए थे और आज भी उनका बेटा उन्हें लेने नहीं आया।

 

अब वह पूरी तरह से कंफर्म हो चुके थे कि उनके बेटे ने उन्हें बेसहारा छोड़ दिया है। दोनों को समझ नहीं आ रहा था कि वह कहां जाए। एक दूसरे का सहारा बने बुर्जुग मां-बाप कुछ सोचने के हालात में नहीं थे।

एक तरफ जहां उनके बेटे ने उन्हें छोड़ने के बाद एक बार भी मुड़ कर नहीं देखा, तो वहीं एक ऐसा शख्स था जो उनके लिए परेशान हो रहा था। ये और कोई नहीं बल्कि वो लड़का था, जो उसे सुबह मिला था। लड़के की रात में ट्रेन थी, लेकिन बुजुर्ग माता पिता की टेंशन में वह ट्रेन नहीं ले पाया। आखिर वह वापस मेला में आया और बुर्जुग माता पिता के पास आकर बैठ गया। उसने उनसे कहा, अम्मा आप मेरे साथ रहोगी।

मैं अकेले एक फ्लैट में रहता हूं। मेरे माता पिता तो बचपन में ही गुजर गए थे, बचपन से मेरे चाचा चाची ने मेरा ख्याल रखा है। लेकिन बड़ा होने के बाद मैं इनपर बोझ नहीं बनना चाहता था, इसलिए मैं फ्लैट लेकर अलग रहता हूं और मेरी नौकरी भी दूसरी जगह है इसलिए मुझे अकेले ही रहना पड़ता है।

अनजान लड़के का प्यार और बड़ा दिल देखकर दोनों मां बाप की आंखें और भी फुट फुट कर रोने लगी थी। वह उन्हें कहते है, बेटा हम तुम्हारे ऊपर कैसे बोझ बन सकते हैं। हमारा खुद का बेटा हमें अपने घर में नहीं रख पाया। उनकी बातें सुनकर लड़का मुस्कुराया और बोला, मैं भी तो आपके बेटे की तरह ही हूं। देखिए बचपन से भगवान ने मुझे बिना मां बाप के रखा और आज संगम स्थल पर मुझे मां बाप भी मिल गए।

लड़के की बात ने बुजुर्ग माता-पिता के दिल को भर दिया था। वह उसके साथ जाने के लिए राजी हो गए। उसने उनका समान उठाया और हंसते हुए बातें करने लगा। ऐसा लग रहा था जैसे सब ठीक हो गया है। तीनों ने साथ मिलकर खाना खाया और ट्रेन लेकर लड़के घर पहुंच गए। बुजुर्ग मात- पिता दुखी थे, लेकिन लड़का उन्हें खुश करने के लिए हर वो चीजें करता था, जिससे उन्हें उनके बेटे की याद ना आए। सोते हुए अक्सर बुजुर्ग महिला कांपते हुए होंठों से चिल्लाते हुए उठ जाती थी कि बेटा मुझे छोड़कर मत जाओ। लेकिन समय के साथ अब ऐसे सपने आना भी बंद हो गए थे। एक साल बीत गए और तीनों साथ में खुशी-खुशी रह रहे थे। वह छुट्टियों में उन्हें घूमने भी लेकर जाता था और खाना भी रोज साथ में खाता था।

धीरे धीरे बुजुर्ग माता-पिता अब अपने बेटे से मोह खोने लगे थे और हर किसी को उस अनजान लड़को को अपना बेटा बताते थे। जो प्यार बुजुर्ग माता-पिता को एक अनजान लड़के ने दिया, वो कभी उन्हें अपने खुद के बेटे से नहीं मिला था। यहीं पर कहानी की समाप्ति होती है।

यह कहानी पूरी तरह से कल्पना पर आधारित है और इसका वास्तविक जीवन से कोई संबंध नहीं है। यह केवल कहानी के उद्देश्य से लिखी गई है, जिससे समाज में जागरूकता और संवेदनशीलता को बढ़ावा दिया जा सके। हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। 

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