शिमला। सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने सभी जिलों में विशेष जांच दल (Special Investigation Teams – SITs) गठित करने के आदेश जारी किए हैं। इन टीमों का कार्य राज्य भर में वन भूमि (Forest Land) की जांच करना और ऐसी ज़मीन की पहचान करना होगा, जिसे राजस्व विभाग द्वारा किसी अन्य संस्था या व्यक्ति को आबंटित किया गया है।
🔹 क्या है मामला?
वर्ष 1980 में Forest Conservation Act (FCA) लागू होने के बाद से भारत में किसी भी वन भूमि का स्थानांतरण या उपयोग तभी संभव होता है जब उसकी FCA के तहत विधिवत मंजूरी ली जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के सामने गोडवर्मा बनाम भारत सरकार के एक मामले में यह बात सामने आई कि हिमाचल में 1980 से पहले कई स्थानों पर राजस्व विभाग ने अपने स्तर पर वन भूमि आबंटित कर दी थी। विशेष रूप से तिब्बती शरणार्थियों को बसाने के दौरान ऐसे कई उदाहरण मिल सकते हैं।
🔹 SIT करेगी पूरे रिकॉर्ड की जांच
सरकार द्वारा जारी आदेशों के अनुसार, SIT उन सभी मामलों की जमीन-स्तरीय जांच करेगी जहां राजस्व विभाग ने वन भूमि का गैर-कानूनी आबंटन किया हो। यह टीम इस तरह की जमीन की रिपोर्ट तैयार कर वन विभाग को सौंपेगी, ताकि उसे वापिस वनों के अधीन किया जा सके।
🔹 जनहित में उपयोग पर लगेगा मूल्य
यदि किसी जमीन पर जनहित से जुड़ा कोई कार्य चल रहा है और उसे वापस लेना व्यवहारिक नहीं है, तो सरकार संबंधित संस्था या व्यक्ति से आर्थिक मूल्य (Cost Compensation) वसूल करेगी। इसके लिए जमीन का मूल्य तय कर राज्य को मुआवजा स्वरूप राशि जमा कराई जाएगी।