झारखंड उन राज्यों में शामिल है जहां सरकारी डॉक्टरों की भारी कमी है। WHO के मानकों के अनुसार राज्य में 37,500 डॉक्टरों की जरूरत है, जबकि मौजूदा संख्या सिर्फ करीब 7,000 है। इनमें से भी कई डॉक्टर प्रशासनिक जिम्मेदारियों में लगे हुए हैं।
सरकार ने स्वास्थ्य सेवा सुधारने के लिए डॉक्टरों की नियुक्ति की कई कोशिशें कीं, लेकिन युवाओं में सरकारी नौकरी के प्रति उत्साह की कमी देखने को मिली। 2022 में JPSC ने 1228 पदों पर बहाली निकाली, पर सिर्फ 323 पद ही भर पाए। वहीं, मेडिकल ऑफिसर के 232 पदों के लिए 1460 आवेदन आए, लेकिन सिर्फ 60% ही इंटरव्यू में पहुंचे।
युवा डॉक्टरों का कहना है कि सरकारी सेवा में संसाधनों की कमी, बार-बार ट्रांसफर, राजनीतिक हस्तक्षेप और कम सैलरी उन्हें इस क्षेत्र से दूर कर रही है। डॉक्टर स्टीफेन खेस के अनुसार, सरकारी अस्पतालों की हालत और कामकाज का दबाव उन्हें तरक्की की संभावना से दूर करता है।
झासा अध्यक्ष डॉ. बिमलेश सिंह ने बताया कि झारखंड में सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को जहां ₹63,000 प्लस 3 इनक्रिमेंट मिलते हैं, वहीं पड़ोसी राज्यों में ये ₹1.25 लाख से ₹1.5 लाख होता है। इसके अलावा, सीएचसी-पीएचसी में संसाधनों की कमी, आवास और स्कूल जैसी सुविधाओं का अभाव भी बड़ा कारण है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने भी माना कि युवाओं का झुकाव कम हो गया है। उन्होंने बताया कि सरकार जल्द ही ऐसी नई पॉलिसी लाएगी जो युवाओं को आकर्षित कर सकेगी।