आद्रा (पुरुलिया), पश्चिम बंगाल
बढ़ते प्रदूषण, वनों की अंधाधुंध कटाई और जलवायु परिवर्तन के खतरों के बीच, पश्चिम बंगाल के आद्रा, जिला पुरुलिया के तीन युवकों ने एक अनोखा और साहसिक कदम उठाया है। शाह रुख प्रमाणिक, आदित्य बाउरी और शिवनाथ कर्मकार ने रविवार को ‘सेव ट्री, सेव लाइफ़’ (पेड़ बचाओ, जीवन बचाओ) का संदेश लेकर लद्दाख की ओर लगभग 2,500 किलोमीटर लंबी साइकिल यात्रा की शुरुआत की।
यात्रा का उद्देश्य
इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य देश के अलग-अलग हिस्सों में लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करना है। युवाओं का मानना है कि पेड़ न केवल ऑक्सीजन देते हैं, बल्कि वे हमारे पारिस्थितिक तंत्र की रीढ़ हैं। इनकी कटाई से न केवल जलवायु असंतुलन पैदा होता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों का भविष्य भी खतरे में पड़ जाता है।
शाह रुख प्रमाणिक कहते हैं,
“पेड़ों को बचाना सिर्फ़ एक अभियान नहीं, बल्कि जीवन बचाने की दिशा में उठाया गया कदम है। अगर हम आज नहीं चेते, तो कल बहुत देर हो जाएगी।”
पहला पड़ाव — झरिया में स्वागत
आद्रा से निकलने के बाद उनका पहला प्रमुख पड़ाव झरिया रहा, जहाँ रविवार को पहुँचने पर स्थानीय लोगों ने फूल-मालाओं से उनका भव्य स्वागत किया। स्कूलों के छात्र, व्यापारी और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में वहाँ उपस्थित थे। युवाओं ने वहाँ एक लघु जागरूकता सभा को भी संबोधित किया और लोगों को पेड़ लगाने व उनकी सुरक्षा का संकल्प दिलाया।
आदित्य बाउरी ने कहा,
“हम चाहते हैं कि हर व्यक्ति साल में कम से कम एक पेड़ लगाए और उसकी देखभाल करे। यह धरती को बचाने में बड़ा योगदान होगा।”
यात्रा का रूट और चुनौतियाँ
यह साइकिल यात्रा पश्चिम बंगाल से शुरू होकर झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से होते हुए लद्दाख पहुँचेगी। रास्ते में यह दल कई तरह की चुनौतियों का सामना करेगा — तेज़ गर्मी, बारिश, पहाड़ी चढ़ाई और लंबी दूरी तय करने का दबाव।
शिवनाथ कर्मकार ने कहा,
“हमारे सामने मौसम की चुनौतियाँ हैं, लेकिन हमारा उत्साह उससे कहीं बड़ा है। हम हर हाल में अपना संदेश लोगों तक पहुँचाएँगे।”
स्कूल और कॉलेज में जागरूकता अभियान
यात्रा के दौरान यह दल हर शहर और गाँव में रुककर स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों से मुलाकात करेगा। वे पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन और वनों के महत्व पर बातचीत करेंगे और पौधारोपण गतिविधियों को बढ़ावा देंगे।
स्थानीय निवासियों ने इस पहल की जमकर सराहना की। झरिया के सामाजिक कार्यकर्ता राकेश गुप्ता ने कहा,
“आज के समय में जब लोग सुविधा के लिए पेड़ काटने से नहीं हिचकते, ऐसे में इन युवाओं की यह यात्रा हम सबके लिए एक सीख है।”
2,500 किलोमीटर का सफर — प्रेरणा की मिसाल
करीब 2,500 किमी की इस यात्रा में तीनों युवाओं को रोज़ाना औसतन 80–100 किमी की दूरी तय करनी होगी। यह केवल शारीरिक ताकत का नहीं, बल्कि मानसिक मजबूती का भी इम्तिहान है। तीनों को उम्मीद है कि इस सफर के दौरान हजारों लोग उनके संदेश से जुड़ेंगे और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाएँगे।
शाह रुख, आदित्य और शिवनाथ की यह पहल न केवल उनके गाँव-शहर के लिए गर्व का विषय है, बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत भी है। जब तीन साधारण युवा अपनी साइकिलों पर निकलकर पूरे देश में जागरूकता फैला सकते हैं, तो यह साबित होता है कि बदलाव लाने के लिए बड़ी सुविधाओं की नहीं, बल्कि बड़े इरादों की ज़रूरत होती है।